आपको भूल जाएं हम इतने तो बेवफा नहीं
आपसे क्या गिला करें आपसे कुछ गिला नहीं
शीशा-ऐ-दिल को तोड़ना उनका तो एक खेल है
हमसे ही भूल हो गई उनकी कोई खता नहीं
काश वो अपने ग़म मुझे दे दें तो कुछ सुकूं मिले
वो कितना बदनसीब है ग़म भी जिसे मिला नहीं
जुर्म है गर वफ़ा तो क्या क्यों मैं वफ़ा को छोड़ दूँ
कहतें है इस गुनाह होती कोई सज़ा नहीं
Sung by Chitra Singh. Sorry couldn't find the writer.
1 comment:
nice... :)
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