मैंने जो *संग तराशा वो खुदा हो बैठा
उठ के मंजिल ही अगर आए तो शायद कुछ हो
शौक़-ए-मंजिल तो मेरा *आबलापा हो बैठा
*मसलेहत छीन गई *कुव्वत-ए-गुफ्तार मगर
कुछ न कहना ही मेरा मेरी *सदा हो बैठा
शुक्रिया ए मेरे कातिल ए मसीहा मेरे
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा
-फरहत शहजाद
संग=Stone
आबलापा= Exhausted/Fatigued
मसलेहत = Prudent Measure
कुव्वत-ए-गुफ्तार= Quvvat means strength and Guftaar means conversation. Hence the meaning.
सदा= Voice
Here the word "Khuda" in the first stanza refers to one of the qualities of God. God is considered to be shapeless in Islam.
1 comment:
Nice one. Had always liked this beautiful ghazal...and its sung wondefully in the version by Mehdi Hasan.
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